प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन


नई दिल्ली, 12, मई । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आज रात 8 बजे राष्ट्र के नाम दिया गया सन्देश ।


सभी देशवासियों को आदर पूर्वक नमस्कार,


 


कोरोना संक्रमण से मुकाबला करते हुए दुनिया को अब चार महीने से ज्यादा हो रहे हैं। इस दौरान तमाम देशों के 42 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं। पौने तीन लाख से ज्यादा लोगों की दुखद मृत्यु हुई है। भारत में भी लोगों ने अपने स्वजन खोए हैं। मैं सभी के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।


 


साथियों,


एक वायरस ने दुनिया को तहस-नहस कर दिया है। विश्व भर में करोड़ों जिंदगियां संकट का सामना कर रही हैं। सारी दुनियाजिंदगी बचाने की जंग में जुटी है। हमने ऐसा संकट न देखा हैन ही सुना है। निश्चित तौर पर मानव जाति के लिए ये सब कुछ अकल्पनीय हैये Crisis अभूतपूर्व है।


 


लेकिन थकनाहारनाटूटना-बिखरनामानव को मंजूर नहीं है। सतर्क रहते हुएऐसी जंग के सभी नियमों का पालन करते हुएअब हमें बचना भी है और आगे भी बढ़ना है। आज जब दुनिया संकट में हैतब हमें अपना संकल्प और मजबूत करना होगा। हमारा संकल्प इस संकट से भी विराट होगा।


 


साथियों,


हम पिछली शताब्दी से ही सुनते आए हैं कि 21वीं सदी हिंदुस्तान की है। हमें कोरोना से पहले की दुनिया कोवैश्विक व्यवस्थाओं को विस्तार से देखने-समझने का मौका मिला है। कोरोना संकट के बाद भी दुनिया में जो स्थितियां बन रही हैंउसे भी हम निरंतर देख रहे हैं। जब हम इन दोनों कालखंडो को भारत के नजरिए से देखते हैं तो लगता है कि 21वीं सदी भारत की हो,


ये हमारा सपना नहींये हम सभी की जिम्मेदारी है। लेकिन इसका मार्ग क्या होविश्व की आज की स्थिति हमें सिखाती है कि इसका मार्ग एक ही है- "आत्मनिर्भर भारत"। हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है- एष: पंथा: यानि यही रास्ता है- आत्मनिर्भर भारत।


 


साथियों,


एक राष्ट्र के रूप में आज हम एक बहुत ही अहम मोड़ पर खड़े हैं। इतनी बड़ी आपदाभारत के लिए एक संकेत लेकर आई हैएक संदेश लेकर आई हैएक अवसर लेकर आई है।


मैं एक उदाहरण के साथ अपनी बात रखूंगा। जब कोरोना संकट शुरु हुआतब भारत में एक भी पीपीई किट नहीं बनती थी। एन-95 मास्क का भारत में नाममात्र उत्पादन होता था। आज स्थिति ये है कि भारत में ही हर रोज लाख PPE और लाख एन-95 मास्क बनाए जा रहे हैं।


ये हम इसलिए कर पाएक्योंकि भारत ने आपदा को अवसर में बदल दिया। आपदा को अवसर में बदलने की भारत की ये दृष्टिआत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प के लिए उतनी ही प्रभावी सिद्ध होने वाली है।


 


साथियों,


आज विश्व में आत्मनिर्भर शब्द के मायने बदल गए हैं, Global World में आत्मनिर्भरता की Definition बदल गई है। अर्थकेंद्रित वैश्वीकरण बनाम मानव केंद्रित वैश्वीकरण की चर्चा जोरों पर है। विश्व के सामने भारत का मूलभूत चिंतनआशा की किरण नजर आता है। भारत की संस्कृतिभारत के संस्कारउस आत्मनिर्भरता की बात करते हैं जिसकी आत्मा वसुधैव कुटुंबकम है। भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता हैतो आत्मकेंद्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता।


 


भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुखसहयोग और शांति की चिंता होती है। जो संस्कृति जय जगत में विश्वास रखती होजो जीव मात्र का कल्याण चाहती होजो पूरे विश्व को परिवार मानती होजो अपनी आस्था में 'माता भूमिः पुत्रो अहम् पृथिव्यःकी सोच रखती हो जो पृथ्वी को मां मानती होवो संस्कृतिवो भारतभूमिजब आत्मनिर्भर बनती हैतब उससे एक सुखी-समृद्ध विश्व की संभावना भी सुनिश्चित होती है।


 


भारत की प्रगति में तो हमेशा विश्व की प्रगति समाहित रही है। भारत के लक्ष्यों का प्रभावभारत के कार्यों का प्रभावविश्व कल्याण पर पड़ता है। जब भारत खुले में शौच से मुक्त होता है तो दुनिया की तस्वीर बदल जाती है। टीबी होकुपोषण होपोलियो होभारत के अभियानों का असर दुनिया पर पड़ता ही पड़ता है। इंटरनेशनल सोलर अलायंसग्लोबर वॉर्मिंग के खिलाफ भारत की सौगात है।


इंटरनेशनल योगा दिवस की पहलमानव जीवन को तनाव से मुक्ति दिलाने के लिए भारत का उपहार है। जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही दुनिया में आज भारत की दवाइयां एक नई आशा लेकर पहुंचती हैं। इन कदमों से दुनिया भर में भारत की भूरि-भूरि प्रशंसा होती हैतो हर भारतीय गर्व करता है।


दुनिया को विश्वास होने लगा है कि भारत बहुत अच्छा कर सकता हैमानव जाति के कल्याण के लिए बहुत कुछ अच्छा दे सकता है। सवाल यह है - कि आखिर कैसेइस सवाल का भी उत्तर है- 130 करोड़ देशवासियों का आत्मनिर्भर भारत का संकल्प।


 


साथियों,


हमारा सदियों का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। भारत जब समृद्ध थासोने की चिड़िया कहा जाता थासंपन्न थातब सदा विश्व के कल्याण की राह पर ही चला। वक्त बदल गयादेश गुलामी की जंजीरों में जकड़ गयाहम विकास के लिए तरसते रहे। आज भारत विकास की ओर सफलतापूर्वक कदम बढ़ा रहा हैतब भी विश्व कल्याण की राह पर अटल है। याद करिएइस शताब्दी की शुरुआत के समय Y2K संकट आया था। भारत के टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स ने दुनिया को उस संकट से निकाला था। आज हमारे पास साधन हैंहमारे पास सामर्थ्य हैहमारे पास दुनिया का सबसे बेहतरीन टैलेंट हैहम Best Products बनाएंगेअपनी Quality और बेहतर करेंगेसप्लाई चेन को और आधुनिक बनाएंगेये हम कर सकते हैं और हम जरूर करेंगे।


 


साथियों,


मैंने अपनी आंखों से कच्छ भूकंप के वो दिन देखे हैं। हर तरफ सिर्फ मलबा ही मलबा। सब कुछ ध्वस्त हो गया था। ऐसा लगता था मानो कच्छमौत की चादर ओढ़कर सो गया हो। उस परिस्थिति में कोई सोच भी नहीं सकता था कि कभी हालात बदल पाएंगे। लेकिन देखते ही देखते कच्छ उठ खड़ा हुआकच्छ चल पड़ाकच्छ बढ़ चला।


 


यही हम भारतीयों की संकल्पशक्ति है। हम ठान लें तो कोई लक्ष्य असंभव नहींकोई राह मुश्किल नहीं। और आज तो चाह भी हैराह भी है। ये है भारत को आत्मनिर्भर बनाना। भारत की संकल्पशक्ति ऐसी है कि भारत आत्मनिर्भर बन सकता है।


 


साथियों,


आत्मनिर्भर भारत की ये भव्य इमारतपाँच Pillars पर खड़ी होगी। पहला पिलर Economy एक ऐसी इकॉनॉमी जो Incremental change नहीं बल्कि Quantum Jump लाए । दूसरा पिलर Infrastructure एक ऐसा Infrastructure जो आधुनिक भारत की पहचान बने। तीसरा पिलर- हमारा System- एक ऐसा सिस्टम जो बीती शताब्दी की रीति-नीति नहींबल्कि 21वीं सदी के सपनों को साकार करने वाली Technology Driven व्यवस्थाओं पर आधारित हो।


चौथा पिलर- हमारी Demography- दुनिया की सबसे बड़ी Democracy में हमारी Vibrant Demography हमारी ताकत हैआत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी ऊर्जा का स्रोत है। पाँचवाँ पिलर- Demand- हमारी अर्थव्यवस्था में डिमांड और सप्लाई चेन का जो चक्र हैजो ताकत हैउसे पूरी क्षमता से इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है।


देश में डिमांड बढ़ाने के लिएडिमांड को पूरा करने के लिएहमारी सप्लाई चेन के हर स्टेक-होल्डर का सशक्त होना जरूरी है। हमारी सप्लाई चेनहमारी आपूर्ति की उस व्यवस्था को हम मजबूत करेंगे जिसमें मेरे देश की मिट्टी की महक होहमारे मजदूरों के पसीने की खुशबू हो।


 


साथियों,


कोरोना संकट का सामना करते हुएनए संकल्प के साथ मैं आज एक विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा कर रहा हूं। ये आर्थिक पैकेज, 'आत्मनिर्भर भारत अभियानकी अहम कड़ी के तौर पर काम करेगा।


 


साथियों,


हाल में सरकार ने कोरोना संकट से जुड़ी जो आर्थिक घोषणाएं की थींजो रिजर्व बैंक के फैसले थेऔर आज जिस आर्थिक पैकेज का ऐलान हो रहा हैउसे जोड़ दें तो ये करीब-करीब 20 लाख करोड़ रुपए का है। ये पैकेज भारत की GDP का करीब-करीब 10 प्रतिशत है।


 


इन सबके जरिए देश के विभिन्न वर्गों कोआर्थिक व्यवस्था की कड़ियों को, 20 लाख करोड़ रुपए का संबल मिलेगासपोर्ट मिलेगा। 20 लाख करोड़ रुपए का ये पैकेज, 2020 में देश की विकास यात्रा कोआत्मनिर्भर भारत अभियान को एक नई गति देगा। आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिएइस पैकेज में Land, Labour, Liquidity  और Laws, सभी पर बल दिया गया है।


 


ये आर्थिक पैकेज हमारे कुटीर उद्योगगृह उद्योगहमारे लघु-मंझोले उद्योगहमारे MSME के लिए हैजो करोड़ों लोगों की आजीविका का साधन हैजो आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प का मजबूत आधार है। ये आर्थिक पैकेज देश के उस श्रमिक के लिए हैदेश के उस किसान के लिए है जो हर स्थिति,


हर मौसम में देशवासियों के लिए दिन रात परिश्रम कर रहा है। ये आर्थिक पैकेज हमारे देश के मध्यम वर्ग के लिए हैजो ईमानदारी से टैक्स देता हैदेश के विकास में अपना योगदान देता है। ये आर्थिक पैकेज भारतीय उद्योग जगत के लिए है जो भारत के आर्थिक सामर्थ्य को बुलंदी देने के लिए संकल्पित हैं। कल से शुरू करकेआने वाले कुछ दिनों तकवित्त मंत्री जी द्वारा आपको 'आत्मनिर्भर भारत अभियानसे प्रेरित इस आर्थिक पैकेज की विस्तार से जानकारी दी जाएगी।


 


साथियों,


आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए Bold Reforms की प्रतिबद्धता के साथ अब देश का आगे बढ़ना अनिवार्य है। आपने भी अनुभव किया है कि बीते वर्षों में जो Reforms हुएउनके कारण आज संकट के इस समय भी भारत की व्यवस्थाएं अधिक सक्षमअधिक समर्थ नज़र आईं हैं। वरना कौन सोच सकता था कि भारत सरकार जो पैसा भेजेगीवो पूरा का पूरा गरीब की जेब मेंकिसान की जेब में पहुंच पाएगा। लेकिन ये हुआ। वो भी तब हुआ जब तमाम सरकारी दफ्तर बंद थेट्रांसपोर्ट के साधन बंद थे। जनधन-आधार-मोबाइल- JAM की त्रिशक्ति से जुड़ा ये सिर्फ एक रीफॉर्म थाजिसका असर हमने अभी देखा। अब Reforms के उस दायरे को व्यापक करना हैनई ऊंचाई देनी है।


 


ये रिफॉर्मस खेती से जुड़ी पूरी सप्लाई चेन में होंगेताकि किसान भी सशक्त हो और भविष्य में कोरोना जैसे किसी दूसरे संकट में कृषि पर कम से कम असर हो। ये रिफॉर्म्स, Rational टैक्स सिस्टमसरल और स्पष्ट नियम-कानूनउत्तम इंफ्रास्ट्रक्चरसमर्थ और सक्षम Human Resource, और मजबूत फाइनेंशियल सिस्टम के निर्माण के लिए होंगे। ये रिफॉर्म्सबिजनेस को प्रोत्साहित करेंगेनिवेश को आकर्षित करेंगे और मेक इन इंडिया के हमारे संकल्प को सशक्त करेंगे।


 


साथियों,


आत्मनिर्भरताआत्मबल और आत्मविश्वास से ही संभव है। आत्मनिर्भरताग्लोबल सप्लाई चेन में कड़ी स्पर्धा के लिए भी देश को तैयार करती है। और आज ये समय की मांग है कि भारत हर  स्पर्धा में जीतेग्लोबल सप्लाई चेन में बड़ी भूमिका निभाए। इसे समझते हुएभी आर्थिक पैकेज में अनेक प्रावधान किए गए हैं। इससे हमारे सभी सेक्टर्स की Efficiency बढ़ेगी और Quality भी सुनिश्चित होगी।


 


साथियों,


ये संकट इतना बड़ा हैकि बड़ी से बड़ी व्यवस्थाएं हिल गई हैं। लेकिन इन्हीं परिस्थितियों में हमनेदेश ने हमारे गरीब भाई-बहनों की संघर्ष-शक्तिउनकी संयम-शक्ति का भी दर्शन किया है। खासकर हमारे जो रेहड़ी वाले भाई-बहन हैंठेला लगाने वाले हैंपटरी पर सामान बेचने वाले हैंजो हमारे श्रमिक साथी हैंजो घरों में काम करने वाले भाई-बहन हैंउन्होंने इस दौरान बहुत तपस्या की हैत्याग किया है। ऐसा कौन होगा जिसने उनकी अनुपस्थिति को महसूस नहीं किया।


 


अब हमारा कर्तव्य है उन्हें ताकतवर बनाने काउनके आर्थिक हितों के लिए कुछ बड़े कदम उठाने का। इसे ध्यान में रखते हुए गरीब होश्रमिक होप्रवासी मजदूर होंपशुपालक होंहमारे मछुवारे साथी होंसंगठित क्षेत्र से हों या असंगठित क्षेत्र सेहर तबके के लिए आर्थिक पैकेज में कुछ महत्वपूर्ण फैसलों का ऐलान किया जाएगा।


 


साथियों,


कोरोना संकट ने हमें Local Manufacturing, Local Market, Local Supply Chain, का भी महत्व समझाया है। संकट के समय में, Local ने ही हमारी Demand पूरी की हैहमें इस Local ने ही बचाया है। Local सिर्फ जरूरत नहींबल्कि हमारी जिम्मेदारी है। समय ने हमें सिखाया है कि Local को हमें अपना जीवन मंत्र बनाना ही होगा।


 


आपको आज जो Global Brands लगते हैं वो भी कभी ऐसे ही बिल्कुल Local थे। लेकिन जब वहां के लोगों ने उनका इस्तेमाल शुरू कियाउनका प्रचार शुरू कियाउनकी ब्रांडिंग कीउन पर गर्व कियातो वो Products, Local से Global बन गए। इसलिएआज से हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए वोकल बनना हैन सिर्फ लोकल Products खरीदने हैंबल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना है।


 


मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश ऐसा कर सकता है। आपके प्रयासों नेतो हर बारआपके प्रति मेरी श्रद्धा को और बढ़ाया है। मैं गर्व के साथ एक बात महसूस करता हूंयाद करता हूं। जब मैंने आपसेदेश से खादी खरीदने का आग्रह किया था। ये भी कहा था कि देश के हैंडलूम वर्कर्स को सपोर्ट करें। आप देखिएबहुत ही कम समय में खादी और हैंडलूमदोनों की ही डिमांड और बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। इतना ही नहींउसे आपने बड़ा ब्रांड भी बना दिया। बहुत छोटा सा प्रयास थालेकिन परिणाम मिलाबहुत अच्छा परिणाम मिला।


 


साथियों,


सभी एक्सपर्ट्स बताते हैंसाइंटिस्ट बताते हैं कि कोरोना लंबे समय तक हमारे जीवन का हिस्सा बना रहेगा। लेकिन साथ हीहम ऐसा भी नहीं होने दे सकते कि हमारी जिंदगी सिर्फ कोरोना के इर्द-गिर्द ही सिमटकर रह जाए। हम मास्क पहनेंगेदो गज की दूरी का पालन करेंगे लेकिन अपने लक्ष्यों को दूर नहीं होने देंगे।


 


इसलिएलॉकडाउन का चौथा चरणलॉकडाउन 4, पूरी तरह नए रंग रूप वाला होगानए नियमों वाला होगा। राज्यों से हमें जो सुझाव मिल रहे हैंउनके आधार पर लॉकडाउन से जुड़ी जानकारी भी आपको 18 मई से पहले दी जाएगी। मुझे पूरा भरोसा है कि नियमों का पालन करते हुएहम कोरोना से लड़ेंगे भी और आगे भी बढ़ेंगे।


 


साथियों,


हमारे यहाँ कहा गया है- 'सर्वम् आत्म वशं सुखम्अर्थातजो हमारे वश में हैजो हमारे नियंत्रण में है वही सुख है। आत्मनिर्भरता हमें सुख और संतोष देने के साथ-साथ सशक्त भी करती है। 21वीं सदीभारत की सदी बनाने का हमारा दायित्वआत्मनिर्भर भारत के प्रण से ही पूरा होगा। इस दायित्व को 130 करोड़ देशवासियों की प्राणशक्ति से ही ऊर्जा मिलेगी। आत्मनिर्भर भारत का ये युगहर भारतवासी के लिए नूतन प्रण भी होगानूतन पर्व भी होगा।


 


अब एक नई प्राणशक्तिनई संकल्पशक्ति के साथ हमें आगे बढ़ना है। जब आचार-विचार कर्तव्य भाव से सराबोर होकर्मठता की पराकाष्ठा होकौशल्य की पूंजी होतो आत्मनिर्भर भारत बनने से कौन रोक सकता हैहम भारत को आत्म निर्भर भारत बना सकते हैं। हम भारत को आत्म निर्भर बनाकर रहेंगे। इस संकल्प के साथइस विश्वास के साथमैं आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।


 


आप अपने स्वास्थ्य काअपने परिवारअपने करीबियों का ध्यान रखिए।


बहुत-बहुत धन्यवाद !!!