जयपुर, 13 मई । किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कल 20 लाख करोड रूपये के पैकेज पर कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान ढाक के तीन पात है ,घिसी-पीटी नीति को दोहराया गया है ।
जाट ने आज एक बयान में कहा कि 20 लाख करोड़ में से 75% जनसँख्या को इस घोषणा से वंचित किया गया है , जिससे देश के किसानो एवं ग्रामीणों की उपेक्षा हुई है । वर्तमान में प्रथम आवश्यकता देश में भटक रहे प्रवासी मजदूरो को अपने गांव तक पहुंचाने की है , इस प्राथमिकता को अनदेखा किया गया है ।
जाट ने कहा कि खेती निर्धारित समय पर ही होती है उसे आगे-पीछे करना संभव नहीं है, ऐसी स्थिति में मूल उत्पादनकर्ता को इस पैकेज में प्रथमिकता होनी चाहिए थी, उसके उपरांत भी कृषि आधारित ग्राम उद्योंगो के स्थापना एवं विकास की ओर सरकार का ध्यान ही नहीं गया । उन्होने कहा कि यह स्थिति तो तब है जब देश भर के शहरों में बसे हुए प्रवासी मजदूर अपने गाँव पहुँचने को आतुर है । उनको रोजगार के अवसर देने के लिए इस पैकेज में चर्चा तक नहीं है ।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि कृषि क्षेत्र सर्वाधिक जोखिम वाला है तो भी प्राकृतिक आपदाओं से त्रस्त किसानो की इस पैकेज में कोई भागीदारी नहीं है, उसी प्रकार कोविद-19 के कारण किसानो को कृषि उपजों के कम दाम प्राप्त होने पर भी उनकी भरपाई के लिए कोई योजना घोषित नहीं की गयी है ।
उल्लेखनीय है कि अकेले राजस्थान में ही अन्य राज्यों से अपने गाँव तक पहुचने के लिए 11 लाख प्रवासी मजदूरों का तो पंजीकरण हो चुका है और उन प्रवासी मजदूरों की संख्या भी कम नहीं है जो पंजीकरण के लिए प्रतीक्षारत है I
उन्होने कहा कि कोविड-19 के संकट से सबक लिए बिना इस पैकेज में भी उसी घिसी-पीटी नीति को दोहराया गया है , शब्द जरुर नये है लेकिन स्थिति वही ढाक के तीन पात जैसी है ।